FIRST AID | प्राथमिक चिकित्सा | सदमा, बिजली का सदमा,बेहोशी,दम घुटना,डूबना इत्यादि | TRITIYA SOPAN LOGBOOK || THE BHARAT & GUIDES.

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प्राथमिक चिकित्सा (FIRST AID)

 दमा (Shock) 

शरीर अथवा मस्तिष्क के आवश्यक कार्यों में व्याप्त उदासीनता की दशा को सदमा कहते हैं। यह रुधिर संचार व्यवस्था में अव्यवस्था का परिणाम है ।

कारण -आन्तरिक या बाह्य रक्त - श्राव , अस्थि - भंग , दबने , डूबने , जलने , झुलसने , विषपान या सर्पदंश आदि से सदमा होता है ।

लक्षण -रोगी ठण्ड का अनुभव करता है,शरीर ठण्डा व पसीने से तर हो जाता है। होंठ व चेहरा पीला पड़ जाता है।वह बैचेनी का अनुभव करता है,नाड़ी मंद चलती है तथा सांस तेज हो जाती है ,जीभ सूख जाती है। गम्भीर सदमे की स्थिति में रोगी अचेत हो जाता है ।

उपचार -सर्वप्रथम सदमे का कारण जानना चाहिए। यदि रक्तश्राव हो रहा हो तो उसे रोकने का प्रयास करें। यदि रोगी अचेत न हो तो उसे चित्त लिटाकर सिर को शरीर के स्तर से कुछ नीचे व पैरों को ऊपर रखें ।कपड़ों को ढीला कर दें और पसीना पोंछ दें। जीभ सूखने पर धूंट - घूट कर पानी या बर्फ के टुकड़े दें । रोगी को सांत्वना दें और यथाशीघ्र औषधालय पहुँचाने की व्यवस्था करें ।

बिजली का सदमा (Electric Shock)

किसी व्यक्ति को बिजली का सदमा लगने पर सर्वप्रथम विद्युतधारा को अलग करें। मेनस्विच बन्द कर दें। यदि रोगी विद्युत तार पर चिपका हो तो सावधानी से किसी कुचालक वस्तु जैसे - सूखी लाठी , कागज का बन्डल आदि से उसे तार से अलग करें। यदि कृत्रिम सांस देने की आवश्यकता हो तो दें। रोगी को यथाशीघ्र औषधालय पहुँचाने की व्यवस्था करें।

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बेहोशी (Fainting) 

मस्तिष्क में रक्त कम पहुँचने के परिणामस्वरूप बेहोशी होती है।

कारण - थकावट का होना ,भोजन की कमी ,शक्ति से अधिक परिश्रम, संवेग की स्थिति में,मानसिक सदमा या भय का होना ,खून का दृश्य देखकर ,अपने प्रिय की दुर्घटना या मृत्यु देखकर ,किसी दुर्घटना का शिकार होने पर ,शरीर में रक्त की कमी होने से , ऑपरेशन के समय, स्वच्छ हवा की कमी , मौसम की कठोरता व तीव्रता आदि कारणों से बेहोशी हो सकती है ।

लक्षण -  चक्कर आना , भूमि पर गिर पड़ना , त्वचा व चेहरे का पीला पड़ना व चेहरे पर पसीना होना , सांस हल्की व मंद चलना , नाड़ी की गति धीमी व मंद हो जाना आदि ।

उपचार - रोगी को पीठ के बल लिटा दें पर पैर कुछ ऊंचे रखें , कपड़े टीले कर दें। रोगी के आस - पास भीड़ न लगने दें ताकि उसे स्वच्छ हवा मिल सके । चेहरे पर पानी के छीटें दें। यदि नमक उपलब्ध हो तो उसे सुंघायें । रोगी के ठीक होने पर उसे गर्म चाय या कॉफी दें ।

 दम घुटना (Choking)

श्वास नली में सांस लेने में अवरोध होने पर दम घुटने का अनुभव होता है ।

कारण - गले में भोजन , फल या अन्य चीज अटक जाने पर सांस लेने में बाधा पड़ती है ।

लक्षण- रोगी को अचानक खांसी होती है , चेहरा पीला पड़ जाता है तथा शरीर ढीला पड़ जाता है ।

उपचार - रोगी को पूरे जोर से खांसने को कहें । यदि बड़ी चीज अटकी हो तो एक हाथ से रोगी की कमर पकड़कर गर्दन आगे झुका दें । दूसरे हाथ से गले के निकट पीठ में मुट्ठी से मारें । तीन बार मारने पर वह वस्तु बाहर न निकले तो पेट दबाने की विधि अपनाएं । इस प्रक्रिया में खड़े तथा लिटाकर पेट को दबाया जाता । यदि यह विधि भी असफल रहे तो तर्जनी अंगुली को गले में डालकर अटकी वस्तु निकाल दी जाती है । पेट दबाने की ( Heimlich's Manocurer ) ठीक तकनीक अपनाएं ।

डूबना (Drawning)

डूबने की घटनाएं आये दिन होती रहती हैं। प्रत्येक स्काउट/गाइड को डूबते को बचाने की कला आनी चाहिये। बचाने वाले को तैरने का अच्छा अभ्यास हो। कभी - कभी डूबता व्यक्ति बचाने वाले पर इस प्रकार लिपट जाता है कि उसे भी डुवा सकता है। अतः ऐसी स्थिति में अपने को तुरन्त छुड़ा लेना चाहिए। अपने को सदैव उसके पीछे रखें। डूबते व्यक्ति को चित्त कर उसकी कुहनी या गर्दन के पीछे पकड़कर स्वयं भी पीठ के बल तैरना चाहिए। यदि बचाव दल पास में हो तो जीवन रक्षक डोरी का प्रयोग किया जा सकता है। डूबते हुए व्यक्ति के पेट में पानी भर जाने की स्थिति में उसका उपचार करें। उसे रेत पर औंधा मुंह कर लिटा दें तथा पानी बाहर निकालने का अभ्यास शुरु करें । अचेतावस्था में उसे कृत्रिम सास दें। कृत्रिम सांस - देते समय देख लें कि उसकी जीभ गले में न अटक जाये। सदमे का इलाज करें तथा डॉक्टर को बुलायें।

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 कपड़ों पर आग लगना 

किसी के कपड़ों पर आग लग जाय तो व्यक्ति को तुरंत भूमि पर लिटा दें । कम्बल या मोटे कपड़े से ढक दें । जिस व्यक्ति के वस्त्रों पर आग लगी हो , वह इधर - उधर भागे नहीं वरन् जमीन पर लेट कर पल्टी मारे ताकि आग को ऑक्सीजन न मिल सकें । अधिक घायलावस्था में तुरंत चिकित्सक को दिखायें अथवा चिकित्सालय पहुँचायें।

वाहन - दुर्घटना

वाहन दुर्घटना में तुरंत पुलिस को सूचित करें। वाहन के अंदर फंसे व्यक्तियों को बाहर निकाले। वाहन की चपेट में आने पर घायल व्यक्ति को आवश्यकतानुसार प्राथमिक सहायता दें। यदि पुलिस के आने में देरी हो तो किसी अन्य वाहन से घायल को पास के चिकित्सालय में पहुँचायें , सम्भव हो व्यक्ति के परिजनों को सूचना दें।

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