स्काउटिंग गाइडिंग का इतिहास | History Of Scouting | बेडन पॉवेल और स्काउटिंग गाइडिंग | Pravesh Logbook

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स्काउटिंग गाइडिंग का इतिहास 
"स्काउट " का शाब्दिक अर्थ है- गुप्तचर, भेदिया, जासूस
फौज में जो चुस्त,चालाक और साहसी हो रास्ता बनाने ,नदी नालों पर पूल बनाने ,घायलों की प्राथमिक चिकित्सा करने तथा शत्रु की गतिविधियों का पता अपने अधिकारियों को देने का काम करते हैं उन्हें " स्काउट " कहा जाता है।

स्काउटिंग आंदोलन के जन्मदाता लार्ड रॉबर्ट स्टीफेन्सन स्मिथ बेडन पावेल थे लार्ड बेडन पावेल ने फौजी स्काउट को बालोपयोगी स्वरूप प्रदान कर उनका चरित्र-निर्माण और व्यक्तित्व का विकास करने वाली संस्था बनाया ,ताकि वे एक सुयोग्य नागरिक बन सके।

बी.पी का जन्म 22 फरवरी 1857 ई. को स्टेनहोल स्ट्रीट,लैंकेस्टर गेट लंदन में रेवेंड प्राध्यापक हर्बर्ट जॉर्ज बेडन पावेल के घर हुआ। वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में रेखागणित के प्राध्यापक थे। उनकी माता हेंनरीटा ग्रेस स्मिथ ब्रिटिश एडमिरल की पुत्री थी। बी.पी की शिक्षा चार्टर् हाउस स्कूल में हुई। चार्टर हाउस में वे 1870 में छात्रवृत्ति लेकर प्रविष्टि हुए।जहाँ उन्हें "बेदिंग टॉवल" के नाम से जाना जाता था। ये इस स्कूल में प्रसिद्ध फुटबॉल गोलकीपर रहे।
1876 ई. में सेना अधिकारियों की भर्ती परीक्षा में 700 अभ्यर्थियों में से कैवेलरी में दूसरे और इन्फैंट्री में चौथे स्थान पर उतीर्ण हुए। अतः उन्हें प्रशिक्षण से मुक्त कर 13वीं हुसार्स रेजिमेंट, लखनऊ(भारत) में सब लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्ति मिली। सन 1883 ई. में 26 वर्ष की अवस्था मे वे कैप्टन हो गए। घुड़सवारी, सुवर का शिकार करना,स्काउटिंग तथा थियेटर में भाग लेना उनके प्रमुख शौख थे।

बी.पी को स्कोउटिंग की प्रेरणा 1899-1900 में दक्षिण अफ्रीका की एक घटना से प्राप्त हुई। दक्षिण अफ्रीका में मैफकिंग नाम का एक कस्वा था जहाँ 1500 गोरे और 8000 स्थानीय लोग रहते थे। हॉलैंड निवासी डच लोग जिन्हें बोआर के नाम से पुकारा जाता था, इस कस्वे को अपने अधीन लेना चाहता था। who holds Mafeking,hold the regins of south Africa की कहावत वहाँ प्रचलित थी।बोरओ की 9000 सेना ने मैफकिंग को घेर लिया।बी.पी के पास अंग्रेजी सेना में कुल मिलाकर 1000 सैनिक थे जिनके पास मात्र 08 बंदूके और थोड़ा सा डायनामाइट था। अपनी युक्ति से बी पी ने 217 दिन तक बोआरो को कस्बे में घुसने नही दिया। 17 मई 1900 को इंग्लैंड से सैनिक सहायता प्राप्त होने के पश्चात बी पी ने विजय प्राप्त की। इस विजय का पूर्ण श्रेय बी पी को जाता है।

इस विजय की एक प्रमुख घटना यह रही थी कि बी पी के स्टाफ ऑफिसर "एडबर्ड सिसिल " ने मैफकिंग के 9 वर्ष से अधिक उम्र के लड़कों को इकट्ठा कर एक "कैडेट-कॉर्प्स या बाल सेना" तैयार की जिन्हें प्रशिक्षित कर और वर्दी पहनाकर सन्देश वाहक, अर्दली,प्राथमिक चिकित्सा इत्यादि कार्यो में लगा दिए तथा उनके स्थान पर लगे सैनिकों को सीमा पर लड़ने के लिए मुक्त कर दिया। गुड ईयर नामक सार्जेंट मेजर के नेतृत्व में इन लड़को का कार्य अद्वितीय रहा। लार्ड सिसिल के इस प्रयोग ने बी पी को प्रभावित किया। इस घटना से प्रेरित होकर उन्होंने "एड्स टू स्काउटिंग नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक से प्रभावित होकर मि. स्मिथ ने बी पी से लड़को के लिए स्काउटिंग की एक योजना बनाने का आग्रह किया।
परिणामस्वरूप 1907 में इंग्लिश चैनल में पुल हार्बर के निकट ब्राउन सी द्वीप में 29 जुलाई से 09 अगस्त तक समाज के विभिन्न वर्गों के 20 लड़कों का प्रथम स्काउट शिविर स्वयं बी पी ने आयोजित किया। इस प्रयोगात्मक शिविर के अनुभवों को उन्होंने "स्काउटिंग फ़ॉर बॉयज "नामक अपनी प्रसिद्ध पुस्तक में लिपिबद्ध कर दिया।इस पुस्तक के 26 वें कथानक  बी पी द्वारा शिविर तथा कैम्प फायर में कही गयी बाते तथा कहानियां है जिन्हें छ पाक्षिक संस्करणों में जनवरी 1908 से अप्रैल 1908 तक प्रकाशित किया गया। इस तरह स्काउटिंग आंदोलन की शुरुआत हुई ।

08 जनवरी 1941 को केन्या में लंबी बीमारी के बाद 83 वर्ष 10 माह 17 दिन का शानदार जीवन जी कर बी पी स्वर्गवासी हुए। माऊंट केन्या में उन्हें दफनाया गया।