प्राथमिक सहायता || FIRST AID || घाव के प्रकार, ड्रेसिंग , कटने व खरोंच का उपचार, नकसीर फूटना, सर्प दंश, मोच आना, डंक लगना || DIGITAL SCOUTING

प्राथमिक सहायता

घाव ( Wounds )

घाव अनेक प्रकार के होते हैं -

कटा घाव ( Incised Wound ) -

फटा घाव ( Lecerated Wound ) -

चुभा घाव ( Punctured Wound ) -

भीतरी घाव ( Contused Wound )

लक्षण -

घाव से खून बहना ( Haemorrhage ) , विषाक्तता ( Infection ) , nnZ ( Pain ) , सूजन ( Swelling ) , मूर्छा ( Shcok ) आदि का होना

उपचार -

मरीज को लिटा दें तथा घाव की परीक्षा करें । रोगाणुनाशक घोल या गर्म पानी से अपने हाथ धो लें । घाव के बाहर किसी प्रकार की वस्तु हो तो उसे हटा दें । रोगाणुरहित घोल से घाव को अन्दर की ओर से बाहर को साफ करें , तत्पश्चात् उसके ऊपर आवश्यक ड्रेसिंग या मरहम पट्टी कर दें।टिंचर आयोडीन में भीगी रुई या गॉज घाव में न लगायें । रोगाणुरोधक क्रीम या पाउडर का प्रयोग किया जा सकता

 ★ ड्रेसिंग ( Dressing ) ★

ड्रेसिंग वह आवरण ( Covering ) है जिससे घाव या आहत अंग ढका जाता है । इससे खून का बहना , घाव का फैलाव तथा रोगाणुओं से रक्षा की जाती है । ड्रेसिंग दो प्रकार से की जा सकती है- सूखी ( Dry ) और नम ( Wet )

सूखी इसिंग का तात्पर्य है कि जब घाव खुला हो- उस पर रोगाणुमुक्त ड्रेसिंग ( Sierilized Dressing) करनी हो , खुले या जले घाव या रक्त श्राव की स्थिति में सूखी इसिंग की जाती है । यह ड्रेसिंग रोगाणुमुक्त ( Sterilised ) मिलती है । यदि इस प्रकार की ड्रेसिंग उपलब्ध न हो तो किसी साफ सफेद कपड़े का प्रयोग करना चाहिए । इसके अभाव में किसी साफ रुमाल या स्कार्फ का प्रयोग करना चाहिए। ड्रेसिंग करने से पूर्व प्राथमिक चिकित्सक को अपने हाथों को रोगाणु रोधक घोल से अच्छी तरह धो लेना चाहिए । इसके बाद ही रोगाणु रोधक घोल या लोशन से घाव साफ करना चाहिए । घाव के ऊपर ड्रेसिंग रख कर रुई से टक कर पट्टी बांधनी चाहिए । नम ड्रेसिंग को बन्द घाव पर प्रयुक्त किया जाता है । इसका प्रयोग खुले घाव पर कदापि न करें और न ही रोगाणुरोधक ड्रेसिंग का प्रयोग करें । इसमें ठण्डे पानी की या बर्फ की सेंक ( Cold Compress ) दी जाती है । बन्द घाव में टिंचर आयोडीन या टिंचर बैन्जोइन का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए । आहत अंग पर अन्तः रक्तश्राव या सूजन की स्थिति में नम ड्रेसिंग का प्रयोग किया जाना चाहिए । किसी स्वच्छ तौलिये , रुमाल या वस्त्र को पानी में भिगो कर उसे निचोड़ कर घाव पर रखते रहना चाहिए ।

                               प्रथम सोपान

प्राथमिक सहायता के स्वर्णिम नियम

★कटने तथा खरोंच का उपचार (Burns & Scalds) -

प्राथमिक चिकित्सक को डिटोल या किसी कीटाणु नाशक से अपने हाथ धोकर गॉज रखने के बाद उस पर पट्टी बांध देनी चाहिए ताकि धूल , मक्खी व कीटाणुओं से बचाव हो । जलने व फफोलों का उपचार ( Burns & मामूली जलने पर उस अंग को ठण्डे पानी में डुबा देना चाहिए । गर्म लोहा , बिजली , रस्सी की रगड़ अथवा रसायनों से शरीर का कोई भाग जल सकता है । जबकि गर्म भाष , उबलते पानी , गर्म तेल आदि से जलने पर फफोले पड़ जाते हैं । गम्भीर रूप से जलने व फफोले पड़ने पर रोगी को सदमे से बचायें तथा कम्बल से ढक दें । गर्म चाय दें । फफोले को कदापि न फोड़ें । प्राथमिक सहायक के हाथ साफ हों तथा घाव को न छूएं । घाव को गर्म किये गांज से ढक कर पट्टी बांध दें । डिटोल के घोल से जले घाव को धीरे से साफ करें

★नकसीर फूटना ( Bleeding from the Nose )

नाक से खून बहने पर रोगी को बिठाकर सिर थोड़ा आगे की ओर झुका देना चाहिए । रोगी को स्वच्छ हवा मिलनी चाहिए । हाथों को सिर के ऊपर रख कर गर्दन और सीने के वस्त्र ढीले कर देने चाहिए । रोगी को नाक से सांस न लेकर मुंह से सांस लेनी चाहिए । नाक , गले और रीढ़ शीर्ष पर बर्फ या ठण्डे पानी का प्रयोग करना चाहिए

★सर्प दंश ( Snake Bite )

सर्प के काटने पर तुरन्त डॉक्टर को बुलाना चाहिए । सर्प की पहचान करनी चाहिए । यदि सर्प अधिक जहरीला हो तो तुरन्त कार्यवाही की जानी चाहिए । टूनिकेट या बन्ध का प्रयोग कर जहर को हृदय की ओर जाने से रोकें तथा जहर को बाहर निकालने के लिये तेज धार के चाकू या ब्लेड से + ( धन ) के चिन्ह का कट लगाकर जहर मिश्रित रक्त को बहनें दें । फिर घाव को पोटेशियमपरमेग्नेट से धो डालें । रोगी को गर्म रखें तथा सोने न दें

★मोच आना ( Sprain )

जोड़ों के चारों ओर के अस्थिबन्धन तन्तुओं में खिंचाव आने से फटने से मोच आती है । इस दशा में रोगी के जोड़ों में दर्द होता है । सूजन आ जाती है । रोगी उस अंग को हिला नहीं सकता । मोच आने पर रोगी को हिलने - जुड़ने न दें तथा मोच पर कसकर पट्टी बांध दें । ठण्डे पानी से पट्टी को भिगोते रहें । रोगी को डॉक्टर को दिखावें

★डंक लगना व काटना ( Stings & Bites )

 मधुमक्खी , भौरा , ततैया आदि के काटने पर सर्वप्रथम डंक निकाल लेना चाहिए । सोडियम बाई कार्बोनेट से घाव धोना चाहिए

★बिच्छू का काटना ( Seorpion Bites )

गर्म - पानी में कपड़े की गद्दी भिगोकर दस पन्द्रह मिनट तक बार - बार रखें । लहसुन पीस कर डंक लगे स्थान पर लगा दें ।