राष्ट्रीय ध्वज || National Flag || राष्ट्रीय झंडे का इतिहास || History Of National Flag || राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम

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National Flag- राष्ट्रीय ध्वज

राष्ट्र-ध्वज किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है। प्रत्येक राष्ट्र का अपना एक ध्वज निर्धारित होता है जिसकी आन-मान-मर्यादा पर मिटने के लिये उसके नागरिक सदैव तत्पर रहते है।

राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

   हमारे राष्ट्र का वर्तमान (तिरंगा) ध्वज अपने में एक इतिहास संजोये है। सन् 1857 में हरे रंग का झण्डा था जिसपर रूपहला सूरज बना था। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई और नाना धुंध पन्त जी इसी झंडे तले लड़े थे।

        सन 1905 में इंग्लैंड में श्याम जी कृष्ण वर्मा और मैडम कामा के सुझाव पर यहां पढ़ने वाले छात्रों ने तीन रंग का झंडा बनाया जिसमे लाल-सफेद-हरा , लाल पट्टी पर आठ प्रान्तों के प्रतीक आठ तारे, सफेद पट्टी पर वन्दे्मातरम् तथा हरी पट्टी पर दांयी तरफ सूरज, बायीं तरफ चाँद बना ध्वज स्वीकार किया।

     सन् 1921 में गाँधी जी ने विजयवाड़ा काँग्रेस अधिवेशन में सफेद, लाल व हरे रंग का झण्डा बनाया जिसके हरे रंग में चरखा बनाया था।

        सन 1931 में कोंग्रेस के करांची अधिवेशन में केसरिया, सफेद और हरा रंग स्वीकार किया गया जिसके बीच की सफेद पट्टी में चरखा रखा गया । 31 दिसम्बर 1931 से 22 जुलाई 1947 यही ध्वज फहराया जाता रहा।

         सन् 1947 में 22 जुलाई से आगे केसरिया, सफेद वह हरे रंग का ध्वज ही स्वीकार कर लिया गया। किन्तु चरखे के स्थान पर सारनाथ के अशोक चक्र को ले लिया गया।केसरिया रंग- साहस और बलिदान, सफेद सत्य व शान्ति, हरा रंग- समृद्धि व खुशहाली का तथा चक्र धर्म और प्रगति का प्रतीक है।

     ध्वज पोल की ऊचाई 20 से 22 फिट होनी चाहिये।

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ध्वज फहराने के नियम

1. केसरिया रंग ऊपर हो, हरा नीचे हो। झंडा हमेसा लपेट कर फहराना चाहिए।

2. ध्वज को सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक फहराना चाहिये।

3. ध्वज को राष्ट्रीय पर्वो व उत्सवों में फहराना चाहिये।

4. हाईकोर्ट (न्यायालय), सचिवालय, कमीश्नरी, कलैक्ट्र ऑफिस, जेल, केन्द्र व प्रान्त मन्त्रि के आवास, राष्ट्रपति भवन, संसद, राजदूतो व राज प्रमुख के आवास, सीमाओं, सैनिक केन्द्रों द्वारा विभिन्न केन्द्रों पर प्रतिदिन फहराया जाता है।

5. राष्ट्रीय ध्वज सब ध्वजों से पहले फहराया जायेगा और सबके अन्त में उतारा जायेगा।

6. दो या उससे अधिक राष्ट्रों के ध्वज समान ऊँचाई पर फहराये जाते है।

7. वक्ता के मंच पर ध्वज मंच के दाहिनें तथा उससे ऊँचा हो।

8. शोक प्रकट करने के लिये राष्ट्र-ध्वज को पहले पूरा फहराकर तब झण्डे की चौड़ाई बराबर नीचे लाकर फहराना चाहिये। उतारते समय ऊपर तक ले जाकर धीरे धीरे उतारना चाहिये।

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निषेध

1. राष्ट्रीय ध्वज के दाहिने कोई झण्डा नहीं फहराया जाना चाहिये।

2. राष्ट्रीय ध्वज के दाहिने किसी व्यक्ति को खड़ा नहीं होना चाहिये।

3. राष्ट्रीय ध्वज को जमीन से नहीं छूने देना चाहियें।

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