भारत में प्रथम गिलवेल वुड बैज कोर्स, 1922 | First Gilwel Wood Badge Corse in India | गिल्वेल वुड बैज कोर्स

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भारत में प्रथम गिलवेल वुड बैज कोर्स, 1922

भारत में प्रथम गिलवेल बुड बैज कोर्स दिनांक 3-12 फरवरी, 1922 को टालीगंज (कलकत्ता) में आयोजित किया गया। सर अलफर्ड पिकफोर्ड, डिप्टी कैम्प चीफ स्काउट मास्टर के तौर पर, श्री जे.एस. विल्सन डिप्टी कैम्प चीफ स्काउट मास्टर के तौर पर तथा रैवरैंड अर्ल ट्रुप लीडर के तौर पर कार्यरत थे।

इस कोर्स में प्रशिक्षार्थी थे :-

श्री एन.एन. बोस, श्री हरिदास गोस्वामी, श्री गौड श्री चारिया, श्री मोहम्मद जैड कासिम, श्री एल डब्ल्यू आर जैकब श्री डी एस लॉरेंस, श्री बी.सी. स्टड, श्री एच.ई.जी. टाटे, श्री के.एफ. वैटकिन्सन, श्री डी.पी. टाम्बी और श्री सत्ता बोस।

दूसरा वुडबैज कोर्स भी कलकत्ता में टालीगंज में ही दिनांक 19-30 जनवरी, 1923 को आयोजित हुआ। इसमें श्री जे.एस. विल्सन डिप्टी कैम्प चीफ स्काउट मास्टर के रूप में थे, श्री जे. ए. कृष्ण डिप्टी कैम्प चीफ सहायक स्काउट मास्टर के रूप में, श्री एन.एन. बोस (कुछ समय के लिए) और रैवर्ड अर्ल ने ट्रुप लीडर के रूप में कार्य किया।

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(पुस्तक से अलग अंकित तथ्य)

आज राष्ट्रीय प्रशिक्षण केन्द्र, सतपुड़ा पहाड़ी श्रृंखला में 3555 फुट की ऊंचाई पर 56 एकड़ भूमि में फैला, पूरी साजसज्जा के साथ तैयार है जिसमें प्रशासनिक खण्ड, बी.पी. स्मारक गाइड भवन, ओलेव स्काउट भवन, कुंजरु हाल, फैरिस एवं पैडोलिना पुस्तकालय और 'कमिंग ऑफ एज' उपलब्ध हैं। कैम्पिंग क्षेत्र तथा उद्यानों का नाम अलंकरण विशिष्ट स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं तथा व्यवसायिक नेताओं के नामों के साथ जोड़े गए हैं।

वर्ष 1992 में, यह वर्णनीय है, राष्ट्रीय साहसिक संस्थान इस राष्ट्रीय प्रशिक्षण केन्द्र, पचमढ़ी में आरम्भ किया गया।

प्रौढ़ नेता प्रशिक्षण कोर्स (स्काउट एवं गाइड) सारे वर्ष लगते रहते हैं और राष्ट्रीय प्रशिक्षण केन्द्र उच्च स्तरीय प्रशिक्षित राज्यों के लिए प्रौढ़ नेताओं को तैयार करने के राज्यों की सहायता करता है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण केन्द्र अन्तर्राष्ट्रीय प्रौढ़ नेताओं के लिए विभिन्न अवसरों पर प्रशिक्षण कोर्स की व्यवस्था करता है। ऐसा ही एक अधिक उपस्थिति वाला अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कोर्स वर्ष 2001 में नई दिल्ली में आयोजित एशिया पैसिफिक क्षेत्रीय स्काउट कान्फ्रेंस के साथ ही आयोजित किया गया जिसमें 11 देशों से प्रशिक्षार्थियों ने भाग लिया।

बाद में दिवंगत सरदार हरदयाल सिंह, संसार के जाने माने स्काउटर को कैम्प चीफ तथा पंजाब में अकेला लीडर के रूप में नियुक्त किया गया।

वे पंजाब में स्थित तारा देवी (शिमला के निकट) के प्रशिक्षण एवं कैम्पिंग केन्द्र को भी गिलवेल नमूने पर, भारत स्काउट्स एवं गाइड्स स्थापित होने से पूर्व, चला रहे थे ल।

अन्य बहुत से विभिन्न प्रांतों के डी.सी.सी. और अकेला लीडरों को भारत स्काउट्स एवं गाइड्स की स्थापना विलय तिथियों (नवम्बर, 1950 और 15 अगस्त 1951 क्रमश) से पूर्व, गिलवेल वुडबैज कोर्स चलाने के लिए अधिकृत किया हुआ था।

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तारा देवी की ओर भारत के अनेक राज्यों तथा विदेशों से अनेक कैम्पर्स और हाइकर्स आकर्षित हुए हैं। इस प्रशिक्षण केन्द्र ने स्काउटिंग की दुनिया में बहुत उल्लेखनीय स्थान प्राप्त किया है। दिल्ली के मुख्यालय द्वारा, सरदार हरदयाल सिंह को उनकी विशिष्ट सेवाओं के दृष्टिगत, 27 मार्च 1984 को प्रथम अवैतनिक कॅम्पचीफ नुियक्त किया गया और इस प्रकार उन्हें, वुडबैज और डी. सी.सी का प्रशिक्षण देने के लिए अधिकृत किया गया।

सरदार लक्ष्मण सिंह जी यह पद 18 अप्रैल 1957 को त्याग दिया जबकि जे० आई० मुतैया को पचमढ़ी केंद्र में नए राष्ट्रीय कैम्प चीफ के रूप में नियुक्त किया गया।

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