गिलवेल और विश्व स्काउटिंग | Gilwel and World Scouting | गिल्वेल कैम्प चीफ | Gilwel Camp Chief.

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गिलवेल और विश्व स्काउटिंग

विश्व के प्रत्येक देश से स्काउटर्स गिलवेल में आते हैं और अपने देशों को गिलवेल प्रशिक्षण लेकर लौटते हैं।
आज गिलवेल और विश्व ब्यूरो संसार को दिए जाने वाले कोर्स के प्रशिक्षण के स्तर को बनाए रखने के लिए निकट का संपर्क रखते हैं।
प्रत्येक स्काउटर जो वुड बैज प्रशिक्षण में भाग लेता है वह विश्व स्काउटिंग में भरपूर योगदान देता है।

गिलवेल के कैम्प चीफ :-

1. कैप्टेन फ्रांसिस गिडनी :-  1919-1923
2. कर्नल जे.एस. विल्सन:-   1923-1943
3. श्री जॉन मैन :-               1943-1969
4. श्री जे.वी. हस्किन्स :-      1969-1975
5. श्री जॉन ब्रुक्स :-             1975-1976
गिलवेल पर्क में कैम्प चीफ का पद समाप्त, 1976

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वर्ष 1970 के बाद वर्तमान प्रशिक्षण टीम का पुनर्गठन निम्नलिखित अनुसार किया गया है:

1. कार्यकारी आयुक्त प्रशिक्षण
2. निर्देशक लीडर प्रशिक्षण
3. निर्देशक कब प्रशिक्षण
4. निर्देशक स्काउट प्रशिक्षण
5. निर्देशक वैंचर स्काउट प्रशिक्षण
प्रथम नई संरचना में श्री डॉन ग्रिसबुक के पास कार्यकारी आयुक्त (प्रशिक्षण) का दायित्व था तथा श्री ब्रेन डागसन-निर्देशक लीडर प्रशिक्षण, श्री एण्ड्री मिलान निर्देशक, कब प्रशिक्षण, तथा श्री टॉम विल्ली- निर्देशक वैंचर स्काउट प्रशिक्षण के पदों पर रहे।

गिलवेल भावना :-

श्री जस्टिस विवियन बोस, भारत स्काउट्स एवं गाइड्स के भूतपूर्व राष्ट्रीय आयुक्त स्वयम् एक लगनशील स्काउट और गिलवेल पार्क की प्रशिक्षण शैली में गहरी आस्था रखते थे। उन्होंने कहा, "प्रत्येक स्काउट एवं स्काउटर को यह जानना चाहिए कि गिलवेल क्यों और किस चीज का प्रतीक है, प्रत्येक स्काउट गिलवेल भावना को जानता है। सारे संसार में गिलवेल स्काउट प्रशिक्षण, स्काउट नेतृत्व और स्काउट क्राफ्ट के आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में जाना जाता है। यह उन लोगों के कारण भी है जो इसे चला रहे हैं। वे लोग चरित्रवान और न्यायमित्र हैं जो स्काउट क्राफ्ट और स्काउट गाथाओं से ओतप्रोत हैं और जो अपरिभाषित गुणों से भरे हैं।
वे आध्यात्मिकता को चरम सीमा तक ले जाने की प्ररेणादायक योग्यता रखते हैं। वे लोग गांठ बांधना, वृक्ष गिराना और खाना पकाना जानते हैं। तारा देवी में भी ये गुण विद्यमान हैं जो एक पुरुष हरदयाल सिंह) द्वारा प्रेरित है और जो स्वयं गिलवेल से प्रेरित है और इस प्रकार चलता रहता है।
वर्ष 1958-59 में भारत स्काउट्स एवं गाइड्स ने गिलवेल वुड बैज प्रशिक्षण कोर्स को अपनाया जबकि श्री जस्टिस विवियन बोस भारतीय युवकों के लिए स्काउटिंग के सर्वोच्च पायनियर और गिलवेल प्रशिक्षण प्रक्रिया के बड़े हिमायती और पूर्ण रूप से गिलवेल के प्रतीक के बारे में उनका कथन पूरी तरह न्यायसंगत है।
भारतीयों ने 'हिमालय' शब्द वुड़ बैज के साथ जोड़ दिया और इसका नामकरण 'हिमालय वुडबैज' कर दिया गया। उन्होंने स्थानीय बीड्स तैयार किए जो मूल बीड्स का थोड़ा परिवर्तित रूप है लेकिन चमड़े के आबन्ध (ठांग) या बूट लैस के स्थान पर नीली डोरी को अपनाया जिसमें बीड्स पिरोई जाती हैं और बैंगनी रंग का गिलवेल स्कार्फ अपनाया है और गिलवेल का दानी मैकलार्न का चैक टार्टन, विश्व ब्यूरो द्वारा अपनाया गया चमड़े का वागल तथा दो तर्फा टर्कस हैड।

(संदर्भ: 5 नवम्बर, 1948 को विश्व ब्यूरो के तात्कालिक निर्देशक, कर्नल जे.एस. विल्सन का पत्र कमांडर के. वी. गोदरेज के नाम)