NATIONAL UNITY | राष्ट्रीय एकता | राष्ट्रीय एकता हेतु सहायक तत्व | TRITIYA SOPAN | राष्ट्रीय एकता में स्काउट गाइड का योगदान

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राष्ट्रीय एकता

हमारा देश विविधताओं का एक नमूना है। इन विविधताओं में एकता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्न प्रकार हैं:-

 1.भौगोलिक संरचना -

पर्वत ,पठार ,मैदान तथा तटीय मैदान के मानव का भौगोलिक परिवेश भिन्न होने से उसके विचारों,  कार्यों एवं विकास में भिन्नता आ जाती है। प्रकृति की गोद में पला व्यक्ति सादगी, ईमानदारी, परिश्रम, सीधे स्वभाव का होता है। जीविकोपार्जन के लिए उसे कठोर परिश्रम करना पड़ता है जबकि मैदानी भूभाग में कृषि ,उद्योग ,यातायात ,शिक्षा , स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण उसका जीवन पर्यन्त की अपेक्षा सहज होता है । अतः दोनों के रहन - सहन , खान - पान और विचार - विकास में भिन्नता आ जाती है।

2. धार्मिक अन्धविश्वास -

इस देश में विश्व के लगभग सभी प्रमुख धर्मों के अनुयायी निवास करते हैं। हिन्दू , बौद्ध , जैन , सिक्ख , इस्लाम , ईसाई , पारसी आदि धर्मों के अनुयायी अपने धर्म को श्रेष्ठ और दूसरे धर्मों को हेय मानते हैं जिससे धार्मिक उन्माद बढ़ता है और साम्प्रदायिक एकता को ठेस लगती है।

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3. भाषावाद -

असंख्य भाषाओं का यह देश है जहां अंग्रेजी , उर्दू , हिन्दी , दोगरी , पंजाबी , गुजराती , मराठी , तमिल , मलयालम , कन्नड , तेलगू , उड़िया , वंगाला , असमी आदि भाषायें बोली जाती हैं। उत्तर भारत में जहां हिन्दी और उससे मिलती जुलती भाषाओं का बाहुल्य है तो दक्षिण में तमिल का वर्चस्व है। इन सब भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत रही है। भाषा के आधार पर प्रादेशिक इकाईयां बनाई गई है जिससे राष्ट्रीय एकता को खतरा बना रहा है।

4. खान -पान व वेश -

पंजाब में सिक्ख पगड़ी पहन कर अपनी अलग पहचान बनायें हैं तो बंगाली धोती कुर्ता , तमिल लुंगी पहन कर अपनी पहचान बनायें हैं। इसी प्रकार पंजाब , हरियाणा , पश्चिमी उत्तर प्रदेश के व्यक्ति का रोटी खाना प्रमुख भोजन है तो बंगाल , असम और दक्षिण भारत के लोगों का चावल। उत्तर प्रदेश में पूर्व में अरहर की दाल के खाने वाले प्रमुख हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग उर्द की दाल के। अतः खान - पान व वेश भी राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करते हैं ।

5. राजनीति बनाम जातिवाद -

इस देश में असंख्य जातियाँ हैं। हिन्दुओं में ही सवर्ण ,असवर्ण ,जनजातियाँ हैं तो मुसलमानों में सिया-सुन्नी का झगड़ा चलता रहता है। इसका लाभ उठाते हैं राजनीतिक दल। जाति के आधार पर प्रत्याशी खड़े किये जाते हैं। अपनी जाति के व्यक्ति को चुनने के लिये लोगों में जातिगत उन्माद उभर आता है जिससे राष्ट्रीय एकता को चोट पहुँचती हैं।

6.अन्य कारक जैसे क्षेत्रीयता ,अज्ञानता, अशिक्षा ,असंतुलित विकास आदि भी राष्ट्रीय एकता को झकझोरते रहते हैं।

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राष्ट्रीय एकता हेतु सहायक तत्व

1. धार्मिक सहिष्णुता - प्रत्येक धर्मावलम्बी को अपने धर्म का अनुसरण करते हुए अन्य धर्मों का समादर करना चाहिए । दूसरे धर्मों के ग्रन्थों को पढ़ना चाहिए । इससे उनमें समदृष्टि व विवेक जागृत होगा । क्योंकि सभी धर्मो का उद्देश्य है मानव जीवन को मर्यादित कर सुखी बनाना ।

2. एक राष्ट्र -भाषा - देश में बहुसंख्य लोग हिन्दी भाषी होने से स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् हिन्दी को राष्ट्र - भाषा स्वीकारा गया। इस भाषा का उदय संस्कृत से ही हुआ है। विचारों के आदान - प्रदान के लिये एक भाषा को होना नितान्त आवश्यक है। अतः क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी को देश को जोड़ने वाली भाषा के रूप में सीखा जाना चाहिए।

3.सांस्कृतिक उपादानों को प्रोत्साहन - हमारी संस्कृति ने राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ करने के लिये हमें अनेक सशक्त माध्यम प्रदान किये हैं जिनमें तीर्थ मेले ,लोक-कलायें तथा ऐतिहासिक स्थल प्रमुख है। इनको जितना अधिक प्रोत्साहन दिया जायेगा - राष्ट्रीय एकता उतनी ही सुदृढ़ होगी ।

4. अन्य सहायक तत्व

- पर्यटन को बढ़ावा।

- शक्तिशाली केन्द्रीय शासन

- उद्योग , व्यापार , यातायात के साधन

- फिल्म उद्योग

- केन्द्रीय सेवायें , केन्द्रीय विद्यालय

- देश भक्ति गीत , प्रहसन नाटक

- स्वैच्छिक संस्थाओं की अहम् भूमिका

- राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास

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स्काउट/गाइड का राष्ट्रीय एकता में योगदान

1. धार्मिक सहिष्णुता को बह्मवा देने के लिये सर्वधर्म प्रार्थनाओं का आयोजन करना

2. राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार - प्रसार में योगदान करना

3. देश के विभिन्न प्रदेशों के देश - गीत व लोक - गीत गाना

4. अन्य प्रदेशों की भाषायें सीखना

5. अधिक से अधिक पेन फ्रेन्ड्स ' बनाना

6. विभिन्न धमों के ग्रन्थों को पढ़ना

7. दूसरे प्रदेशों का भ्रमण कर विचारों का आदान - प्रदान करना ।

प्रथम सोपान, द्वितीय सोपान एवं तृतीय सोपान लोग बुक की जानकारी आपको इस वेबसाइट पर मिल जाएगी।

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