कम्पास || COMPAAS || कम्पास की जानकारी || COMPASS || दिशाओं की जानकारी || Dwitiya Sopan Compass

 


कम्पास (COMPAAS) की जानकारी

कम्पास एक दिशा सूचक यंत्र है। जो हमे दिशाओं की जानकारी ज्ञात कराता है। कम्पास की सुई उत्तर दिशा की ओर दर्शाती है, जिससे उत्तर दिशा ज्ञात कर बाकी अन्य  दिशाओं की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। उत्तर दिशा की सही स्तिथि ध्रुब तारा है किंतु मैग्नेटिक कम्पास की सुई ठीक ध्रुब तारे की ओर न होकर कुछ पश्चिम की ओर मुड़ी होती है। इसका कारण है कि उत्तरी ध्रुव से लगभग 1400 मील कनाडा के उत्तर में एक शक्तिशाली बिंदु है जो मैग्नेटिक उत्तर को दर्शाता है।

       प्रत्येक स्काउट गाइड, रोवर/रेंजर्स को दिशाओं का ज्ञान तथा सोलह दिशाओं की जानकारी होनी चाहिए। इस हेतु कम्पास एक सुलभ साधन है। चुम्बकीय कम्पास में एक सुई होती है जो स्वतंत्र रूप से घूमती रहती है यदि किसी समतल स्थान पर कम्पास को रख दिया जाता है तो यह सुई स्थिर होकर उत्तर दिशा प्रदर्शित करती है।

उत्तर तीन प्रकार के होते हैं- 

1.) true north (वास्तविक उत्तर) ध्रुब तारे से

2.) Magnectic north (चुम्बकीय उत्तर) कम्पास से

3.) Grid north (ग्रिड उत्तर) मानचित्र से

ज्ञात किया जाता है।

                     सोलह दिशाओं का ज्ञान

मुख्य चार दिशायें हैं - उत्तर , दक्षिण , पूर्व , पश्चिम 

दो दिशाओं के बीच की अर्द्धक लेने पर कुल आठ दिशायें बन जाती है - उत्तर , उत्तर - पूर्व , पूर्व , दक्षिण - पूर्व , दक्षिण , दक्षिण - पश्चिम , पश्चिम , उत्तर - पश्चिम , इसी प्रकार उक्त आठों के बीच की अर्द्धक से कुल सोलह दिशायें बन जायेंगी । इन दिशाओं का नामकरण उत्तर और दक्षिण को प्रमुख मानकर किया जाता है शुद्धता की दृष्टि से उक्त दिशाओं के स्थान पर गणितीय विधि अधिक उपयोगी है । किसी एक बिन्दु पर कुल 360° के कोण होते हैं । अतः कोणिक दूरी में दिशाओं को जानने की विधि अधिक शुद्ध है सोलह दिशाओं के कोणिक नाम निम्नांकित है :-

उ.उ.पू (NNE)- 22.5°       द.द.पू (SSW)- 202.5°

उ.पू (NE)- 45°                 द.प (SW)- 225°

पू.उ.पू (ENE)- 67.5°        प.द.प (WSW)- 247.5°

पूर्व (E)- 90°                     पश्चिम (W) - 270°

पू.द.पू (ESE) - 112.5°      प.उ.प (WNW)- 292.5°

द.पू (SE)- 135°                उ.प (NW) - 315°

द.द.पू (SSE) - 157.5°      उ.उ.प (NNW)- 337.5°

दक्षिण (S) - 180°              उत्तर (N) - 360°

इस कोणिक विधि का लाभ यह है कि इसकी सहायता से सूक्ष्म से सूक्ष्म गणना की जा सकती है। भौगोलिक उत्तर तथा चुम्बकीय उत्तर का अंतर चुम्बकीय अंतर कहलाता है। 

उत्तर दिशा की जानकारी

स्पेन निवासी कोलम्बस भारत की खोज के लिए चला था किंतु वह भारत न पहुँचकर अमेरिका पहुच गया। ऐसा क्यों

        कारण यह था कि उत्तर दिशा को दर्शाने वाले कोई यंत्र नही बना था।  बाद  में बास्कोडिगामा के समय ध्रुब दर्शक यंत्र का अविष्कार हो चुका था । अतः वह इस यंत्र की सहायता स्व भारत पहुच गया।

स्काउट / गाइड उत्तर दिशा ज्ञात करने के लिये अपने पास कम्पास तो रखते ही हैं , उसके अभाव में वे अनेक विधियों से भी उत्तर दिशा ज्ञात कर लेते हैं जिनमें कुछ विधियाँ निम्नलिखित है :-

1. सूर्य की सहायता-

उदय होते सूर्य की ओर मुंह कर खड़े हों तो सामने की ओर पूर्व दिशा , पीठ पीछे पश्चिम , बायें हाथ की ओर उत्तर और दाहिने हाथ की ओर दक्षिण दिशा होगी । इसके अतिरिक्त प्रातःकाल छः बजे सूर्य पूर्व में , नौ बजे दक्षिण पूर्व में , बारह बजे दक्षिण में , सायं तीन बजे दक्षिण - पश्चिम में और छः बजे सायं पश्चिम में होता है ।

2. हाथ की घड़ी से-

हाथ की घड़ी को स्थिर रखकर घंटे की सुई को सूर्य की सीध में करें । घड़ी के केन्द्र पर एक तिनका खड़ा करें । तिनके की छाया , घंटे की सुई और सूर्य जब एक सीध में हों तो बारह बजे के अंक व छाया की रेखा की लम्बर्धक रेखा उत्तर दक्षिण को दर्शायेगी 

3. छाया विधि से-

समतल भूमि पर एक लाठी गाड़ दें । सूर्योदय के समय प्रातःकाल तथा सूर्यास्त पर छाया सबसे लम्बी होगी । दोपहर को सबसे छोटी होगी । सबसे छोटी छाया उत्तर दिशा को इंगित करेगी

4. तारा समूह से -

रात्रि में उत्तर दिशा जानने के लिये सप्तऋषि मण्डल , लघुसप्तऋषि मण्डल , शिकारी (Orion) तथा कैसोपिया (Casiopia) की मदद ली जा सकती है ।

इसे भी जरूर पढ़ें

स्काउट गाइड कोटा से जुड़ी जानकारी

हिस्ट्री ऑफ बेडन पॉवेल प्रश्न उत्तर

स्काउटिंग फ़ॉर बॉयज से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

हिस्ट्री ऑफ लेडी बेडन पॉवेल

कैम्प ड्यूटी, रोटा चार्ट, पेट्रोल डयूटी

- सप्तऋषि मण्डल (Great Bear e or Plough) -

रात्रि में सात चमकते तारों का एक समूह जो एक किसान के हल की तरह दिखता है तीन तारे वक्राकार में और चार तारे एक चतुर्भज बनाते हैं । इस चतुर्भुज के अन्तिम दो तारे पाइंटर ( pointer ) कहलाते हैं । इन दो पाइन्टर्स की सीध में जो अकेला चमकीला तारा दिखाई देता है वही ध्रुव तारा है । ध्रुव तारा सदैव उत्तर दिशा में होता है।

- लघु सप्तऋषि मण्डल (Little Bear) -

यह भी सात तारों का एक समूह है । ये तारे अधिक पास पास छोटे होते हैं तथा सप्तर्षि मंडल की भांति ही इनका आकार होता है। किंतु इनके तीन तारे जो वक्रकृति बनाते हैं उनका अंतिम तारा ध्रुब तारा होता है।

- शिकारी (Orion) -

यह चौदह चमकीले तारों का समूह हैं जिनसे मिलकर एक शिकारी की सी आकृति बन जाती है । कमर पर पेटी सी बनाते तीन तारे तथा उस पर तलवार सी लटकी तीन तारे , कन्धों को प्रदर्शित करते दो चमकीले तारे तथा तीन धुंधले से तारे सिर की आकृति दर्शाते से दिखते है । तलवार के मध्य , कमर के मध्य तथा सिर के मध्य के तारों को मिलाकर बनने वाली सीधी रेखा ध्रुव तारे को दर्शाती है

- कैसोपिया-

पाँच तारे अंग्रेजी के अक्षर W के आकार के है जिनसे एक संकरा V और दूसरा अधिक फैला V बनता है । अधिक फैले । के मध्य से खींची गई सीधी रेखा ध्रुव तारे को दर्शाती है।

उम्मीद है आपको यह जानकारी पसन्द आयी होगी, इसी तरह स्काउटिंग से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें, और आपको यह पोस्ट कैसा लगा कमेंट में जरूर बताएं।

इसे भी पढें:-

स्काउट गाइड चिन्ह, आदर्श वाक्य,सिद्धान्त

प्रथम सोपान गाँठ एव बन्धन

इसे भी जरूर पढ़े

राष्ट्रपति पुरस्कार लॉगबुक :- Click here

राज्य पुरस्कार लॉगबुक :- Click Here

तृतीय सोपान लॉगबुक :- Click Here

द्वितीय सोपान लॉगबुक :- Click Here

प्रथम सोपान लॉगबुक :- Click Here

स्काउटिंग गाइडिंग वस्तुनिष्ठ प्रश्न-उत्तर :- Click Here

स्काउट गाइड कोटा टेस्ट पेपर :- Click Here