MAPPING || मैप (नक्सा) बनाना || MAP || मानचित्र बनाने की तीन प्रमुख बातें || TRITIYA SOPAN LOGBOOK .

 

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मानचित्र बनाना

मानचित्र बनाने में मुख्यतया तीन बातों का उल्लेख आवश्यक है:-

1.दिशा (Direction) 2.दूरी (Distance) 3.विवरण (Details) 

सर्वप्रथम उत्तर दिशा दर्शाना आवश्यक है जिसे कम्पास से अंकित किया जा सकता हैं । तत्पश्चात् मापनी ( Scale ) को दर्शाना चाहिए। मापक के अनुसार समस्त विवरण परम्परागत् चिन्हों से अंकित करना चाहिए। यदि कम्पास से कोण (Bearing) लिए गये हों तो उनके अनुसार वस्तुएं अंकित करें।

मानचित्र बनाने से पूर्व भी कुछ आवश्यक कार्य करें। जिस क्षेत्र को भूमापन करना हो उसके बीचों बीच या किसी ऊंचे स्थान पर खड़े होकर आवश्यक दृश्यों का अवलोकन कर लें। तत्पश्चात् क्षेत्र की सीमा (Boundry) निर्धारित कर एक काल्पनिक मानचित्र तैयार करें। जिन वस्तुओं को मानचित्र में अंकित करना है उनकी कोणिक दूरी (Bearing) ले लें अथवा समतलपटल (Plain Table) पर किरणें (Rays) अंकित कर लें।

मानचित्र बनाने के लिये दूरियां ज्ञात करना आवश्यक है।

इन दूरियों के लिए भूमापन की निम्नलिखित विधियाँ प्रचलित हैं:-

1. समतल मेज भूमापन (Plain Table Survey)

इस विधि से छोटे क्षेत्रों , मकान , सड़क आदि का मानचित्र तैयार करना आसान रहता है। समतल-पटल के ऊपर कागज की सीट लगाकर A और B बिन्दु लेकर एक रेखा कागज पर खीचीं। A बिन्दु पर आलपिन लगाकर साहुल से उसके नीचे वास्तविक A बिन्दु ज्ञात किया। केन्द्रीयकरण (Centring) तथा उत्तर दिशा अंकित कर समतल पटल को कस लिया। अब A से B की ओर किरण डाल लें। A से चारों और आवश्यक बिन्दुओं (Objects) की ओर किरणें डाल दें। A स्थान पर कील गाड़कर समतल पटल को उठाकर ' B ' पर ले जायें। ' B ' के ऊपर पुनः केन्द्रीयकरण (Centring) कर AB रेखा को मिला लें तथा टेबुल कस दें। B पर A से डाली गयी सभी किरणों की ओर किरणें डाल दें। उनके कटान बिन्दु पर वांच्छित बिन्दु (Objects) प्राप्त होंगे। इसी प्रकार B से C की ओर बिन्दु लिये जा सकते हैं ।

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