तिकोनी पट्टी || TRIANGULAR BANDAGE || तिकोनी पट्टी के उपयोग || USE OF TRIANGULAR BANDAGE || FIRST AID || DWITIYA SOPAN.

Triangular bandage

तिकोनी पट्टी (Triangular Bandage)

यह पट्टी इसीलिए बांधी जाती है ताकि मक्खी ,धूल और रोगाणुओं से घाव की सुरक्षा हो सके। यदि खपच्ची लगी हो तो वह अपने स्थान पर स्थिर रहे और प्रभावित अंग हिले डुले नहीं। यदि रक्त स्राव हो रहा हो तो वह रुक जाये। चौडी पट्टी कम से कम 38 ' का वर्गाकार सस्ता दो सफेद कपड़ा लेकर इसे कर्णवत काटकर दो तिकोनी पट्टी बनाई जा सकती है । पट्टी " संकरी पट्टी तीन फोड के कर्णाकार भाग को ' आधार ' दोनों बराबर भुजायें ' साइड्स ' तथा आधार के विपरीत के बिन्दु को ' शीर्ष ' कहते हैं ।

   प्रयोग के आधार पर पट्टी तीन प्रकार से बांधी जाती है:-

1.पूर्ण तिकोनी पट्टी ( Open Bandage ) :- सीने की पट्टी अथवा झोली के रूप में

2.चौड़ी पट्टी ( Broad Bandage ) - शीर्ष को आधार पर रखकर एक मोड़ देकर पुनः एक और मोड़ देकर (चार पत) चौड़ी पट्टी बन जायें ।

3. संकरी पट्टी ( Narrow Bandage ) - चौड़ी पट्टी को मध्य से एक बार और मोड़ दिया जाये ( आठ पते ) तो वह संकरी पट्टी बन जायेगी।

पट्टियों में डॉक्टरी गांठ (Reaf knot) का प्रयोग करना चाहिए । यह गांठ इस प्रकार लगाई जाये कि वह रोगी को चुभे नहीं । यदि चुभने की सम्भावना हो तो उसके नीचे गद्दी का प्रयोग किया जाना चाहिए । जब पट्टी काम में न लायी जा रही हो तो उसे धोकर , प्रेसकर तीनों सिरे मध्य में रखकर सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए.

पट्टियों का प्रयोग

(Application of Bandages)

1.सिर की पट्टी (Head Bandage) -

रोगी की पीठ की ओर खड़े हों । तिकोनी पट्टी के आधार पर एक - दो मोड़ देकर रोगी के माथे पर , कान व भौंह के ऊपर इस प्रकार रखें कि पट्टी का शीर्ष ठीक पीछे हो। अब पट्टी के शीर्ष की ओर दबाये रखकर दोनों सिरों को घुमा कर आगे लायें और आधार के निकट गाँठ लगा दें । शीर्ष के भाग को थोड़ा खींच कर ऊपर को उलट कर सेफ्टी पिन लगा दें।

2. सीने की पट्टी (ChestBandage) -

तिकोनी पट्टी को सीने पर इस प्रकार रखें कि शीर्ष कन्धे पर तथा आधार कमर के समानान्तर रहे । अब आधार को ? " मोड़ कर दोनों सिरों से पीठ के पीछे इस प्रकार गाँठ लगा दें कि एक सिरा दूसरे से अधिक लम्बा रहे। इस लम्बे सिरे से शीर्ष वाले सिरे पर कन्ये पर गाँठ लगा दे।

3. हाथ की पट्टी - (Hand Bandage) -

तिकोनी पट्टी के आधार को कुछ मोड़कर उसके ऊपर रोगी का हाथ इस प्रकार रखें कि अंगुलियाँ शीर्ष की ओर रहें। शीर्ष भाग को पलटकर हाथ के ऊपर लाये। दोनों सिरों को एक दूसरे पर क्रास कर गाँठ लगा दें।

4.हंसली की पट्टी (Collar Bandage) -

हंसली की हड्डी टूटने पर एक चौड़ी पट्टी भुजा और सीने पर तथा एक तिकोनी झोली का प्रयोग करें।

5.भुजा की पट्टी (Arm Bandage) -

भुजा की हड्डी टूटने पर कलाई पर कॉलर एण्ड कफ स्लिंग का प्रयोग करें तथा दो चौड़ी पट्टियाँ कन्धे व कुहनी के पास लगा

 6.घुटने की पट्टी (Knee Bandage) -

कूल्हे तक खपच्ची लगाकर पैर को भूमि से कुछ ऊपर उठा दें । घुटने के नीचे गद्दी रखें । एक संकरी पट्टी अष्टाकार में पैर और टखने पर लगा दें , एक संकरी पट्टी जांघ पर तथा एक घुटने पर लगा दें

7.पैर की पट्टी (Leg Bandage) -

दोनों पैरों को मिलाकर पैर व टखने पर एक संकरी पट्टी अष्टाकार में बांधे , पैरों के बीच खाली जगह को पट्टियों से भर दें । दो चौड़ी पट्टियाँ जांघों पर , एक चौड़ी पट्टी घुटनों पर तथा दो संकरी पट्टियां टूटे भाग के ऊपर व नीचे लगा दें.


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