द्वितीय सोपान गाँठ एवं बन्धन
★ लट्ठा फांस ( TIMBER HITCH ):-यह फांस पतली लकड़ीयो का गट्ठर बांधने, लट्ठा को ऊपर चढ़ाने-उतारने , घसीटने, जकड़ने तथा कर्णाकार बन्धन के शुरू में प्रयुक्त होती है, अथार्त दो लाठियों या बल्लियों के मध्य के अंतर को कम करती है।
- लट्ठा फांस बांधने की विधि :-
- रस्सी के एक सिरे को लकड़ी या लट्ठे के ऊपर लपेटो।
- अब इस सिरे को पकड़कर , खड़ी रस्सी के चारो और लपेटो
- अब इस सिरे को लकड़ी पर लपेटी हुई रस्सी के चारो ओर दो तीन बार लपेटे
- अब हाथ मे पकड़ी हुई रस्सी को लकड़ी के 2 3 हाफ हिच लगा दो और रस्सी के सिरों को मजबूती से खींच लीजिए।
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★ सरक फांस ( ROLLING HITCH ):-
यह फांस भी खूंटा फांस की भांति होती है। किंतु उससे अधिक सुरक्षित होती है। जब रस्से पे अधिक तनाव पड़े या टूटने की सम्भावना हो तो सड़क या लपेटा फांस लगाकर उसे सुरक्षित कर दे। किसी बेलनाकार वस्तु को मजबूती से बांधकर लाइन की दिशा में खिंचने में काम आती है। जैसे- किसी अग्निशमन यंत्र को नीचे से उपर की ओर खीचना।
- सड़क फांस बांधने की विधि:-
- रस्सी के एक सिरे को किसी वस्तु के चारो तरफ लपेटिये और दूसरे हाथ मे पकड़ी रस्सी को क्रोस कर के ऊपर से लेकर आइए।
- अब रस्सी को तीसरी बार वस्तु के ऊपर से लपेटो और दूसरे हाथ मे पकड़ी रस्सी को क्रोस न करें।
- अंतिम लपेटे के नीचे से रस्सी के मुक्त सिरे को लेकर जाइये और कसकर खींच दीजिये।
- तनाव से टूटने वाली रस्सी पर इसे लगाते समय खूंटा फांस की तरह सुस्त भाग पर चुस्त सिरे से दो लपेटे दे।
★ ढेकली फांस (MARLINE LEVER HITCH ) :-
मर्लिन स्पाइका एक अस्थायी गाँठ है। जिसका उपयोग रस्सी के लकड़ी से बांधने तथा हैंडल बनाने में किया जाता है। हाथों से रस्सी पकडकर जितना खींचा जाता है वह उतना तनाव देती है।
रस्सी की सहायता से लाठी पर शीघ्रता से अस्थायी सीढ़ी बनाने में इस फांस का प्रयोग किया जाता है।
- ढेकली फांस बांधने की विधि:-
- सुस्त भाग पर एक लूप बनाइये और इसे दांयी और रखे।
- इससे लम्बत रेखा के पार क्रोस कीजिये
- बने हुए लूप के बीचों बीच एक बेलनाकार वस्तु या लाठी रखे।
- दोनों सिरों को कसकर खींच दीजिये और लिवर हिच तैयार है।
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★ अष्टकार गाँठ ( FIGURE OF EIGHT KNOT ) :-
यह गाँठ सादी गाँठ से अधिक सुरक्षित है। आठ को आकृति की गाँठ को FLEMISH KNOT के नाम से भी जाना जाता है। अष्टकार गाँठ एक प्रकार की स्टॉपर गाँठ है जो चढ़ाई तथा नौकायान में उपयोग होती है।
यह गाठ एक मजबूत गाँठ होती है। यह गाँठ बचाव कार्य, नौकायान व चढ़ाई में काम आती है ।
- अष्टकार गाँठ बांधने की विधि:-
- रस्सी के एक सिरे से एक लूप बनाइये।
-अब रस्सी के उसी सिरे को नीचे से लूप के अंदर से निकाले।
- रस्सी के दोनों सिरों को खींच लीजिए।
★ वर्गाकार बन्धन (SQUARE LASHING):-
इसे चौकोर बन्धन भी कहा जाता है। यह बन्धन दो बल्लियों को समकोण पर बांधने में प्रयुक्त होती है।
मकान बनाने के लिए, मचान-पूल, गैजेट्स आदि में इस बन्धन का प्रयोग किया जाता है।आयताकार फ्रेम बंनाने एवं भारवाहक वहन के लिए काम आती है।
- वर्गाकार बन्धन बांधने की विधि:-
- इसे लगाते समय ध्यान रहे कि जिस लाठी पर बल पर रहा हो उसके विपरीत लाठी पर खूंटा फांस लगाए।
- अब तीन चार लाठियों के चारो ओर समांतर लपेटे लगा दे, तथा तीन चार बार रस्सी के मध्य में लेकर कसाव कर दे।
- प्रारंभ में जिस लाठी पर खूंटा फांस लगाया गया हो उसके विपरीत लाठी पर खूंटा फांस लगाकर बन्धन समाप्त कर दे।
★ अष्टकार बन्धन (FIGURE OF EIGHT LASHING):-
इस बन्धन का प्रयोग दो या तीन बल्लियों को जोड़ कर तिपाहि, तम्बू, झोपड़ी आदि में किया जाता है।
अष्टकार बन्धन बांधने की विधि:-
- तीन बल्लियों के सिरे अष्टकार बन्धन से इस प्रकार बांधे की दो बल्लिया एक और तथा मध्य की लाठी दूसरी ओर रखे ।
- किनारे की लाठी पर खूंटा फांस लगा दे।
- अब चुस्त सिरे से लाठियों के ऊपर नीचे इस प्रकार लपेटते चले जाएं कि रस्सी अंग्रेजी के आठ की आकृति बनाती चले।
- पांच-छह बार लपेटने के बाद दो दो लाठियों के मध्य तीन चार बार कसाव कर दे।
- अंत मे मध्य या विपरीत लाठी पर खूंटा फांस लगा दे।
★ गुणाकार/कर्णाकार बन्धन ( DIAGONAL LASHING) :-
इस बन्धन का प्रयोग किन्ही दो बल्लियों या लाठियो को कर्णवत एक साथ बांधने में होता है। जिनके तनाव विपरीत दिशाओं की ओर हो। जैसे- ट्रेसल कि मध्य की लाठी।
- गुणाकार बन्धन बांधने की विधि:-
- दो लाठियो पर लट्ठा फांस लगाकर तीन बार किसी एक दिशा में लपेट लें।
- तीन बार समकोण में उनके उपर पुनः लपेटे
- अंत मे दो तीन कसाव देकर खूंटा फांस से बन्धन समाप्त कर दे।
- यदि रस्सी बच गयी हो तो किसी एक लाठी पर लपेट कर खूंटा फांस लगा दे।
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