तैराकी (SWIMMING)
तैरना व गोता लगाना एक कला है । यह कला स्वास्थ्य के लिये एक उपयोगी व्यायाम है । इससे सांस के व्यायाम के साथ साथ शरीर की प्रत्येक मांस पेशी का व्यायाम हो जाता है।इसके अतिरिक्त तैरना व गोतासोरी डूबतों को बचाने में भी सहायक है।
इसीलिए स्काउट/गाइड के लिये तैरना अनिवार्य किया गया है। तैरना एक साहसिक कार्य (Adventure ) भी है।
- तैराकी व गोताखोरी सीखना किसी कुशल प्रशिक्षक के नेतृत्व में किया जाना चाहिए।
- सीखने का सबसे उत्तम स्थल तरण - ताल है ।
- नदी , झील , तालाब , नहर आदि में तैरते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए ।
- झाड़ियां , घास , कार्ट , चट्टान , गढढे , लहरें आदि में तैरना वर्जित है।
- किसी अपरिचित व निर्जन स्थान में नहीं तैरना चाहिए ।
- भोजन के बाद या थकावट की स्थिति में नहीं तैरना चाहिए
- डूबतों को बचाने के लिये अच्छे तैराक व गोताखोर को नियुक्त करना चाहिए। " नीम हकीम " की स्थिति में स्वयं भी डूब सकते हैं।
- जीवन रक्षक डोरी का प्रयोग अवश्य करें।
नव सीखियें स्काउट व गाइड को किसी कुशल प्रशिक्षक के संरक्षण में पक्के तरण - ताल में ही सीखना चाहिए । चूंकि तरण - ताल में एक ओर कम गहराई होती है और दूसरी ओर गोताखोरी के लिये सर्वाधिक होती है । अतः नव सीखियों को कमर तक की गहराई में जाकर सीखने का अभ्यास करना चाहिए । तरण - ताल में प्रवेश से पूर्व अच्छी तरह स्नान कर एक कच्छा धारण करना चाहिए । कमर तक पानी में प्रवेश कर ' सपील ' पकड़कर शरीर को फ्लोट करने दें । सर्वप्रथम पैर चलाना सीखे । तत्पश्चात् हाथ चलाने का अभ्यास करें । अबमुंह को पानी में डालकर सांस लेने व छोड़ने का अभ्यास करें । मुंह से सांस ली जाये और नाक से छोड़ी जाय । तत्पश्चात् पानी की सतह पर फ्लोट करना व स्टार्ट लेना सीखें । शुरू में स्टार्ट लेते समय पैर के अगूठों से ‘ सपील ' पकड़ लें । शरीर को इस प्रकार सिकोड़ें कि सिर दोनों हाथों के मध्य में हों दोनों हाथ सिर के ऊपर तने हो , हथेली आगे की ओर रहे । ताल में प्रवेश करते ही पानी की सतह के ऊपर शरीर तन जाय । इस अवस्था को ' फ्लोटिंग ' कहा जाता है । अब तेजी से हाथ - पैर और सांस का सामंजस्य स्थापित कर आगे को तैरते चले । जब तैरना आ जाये तो स्टार्ट लेते समय सपील पर पैर जमाकर हाथों को पीछे झुलाते हुए आगे लायें ।
तैराकी के प्रकार तैराकी की अनेक विधियाँ है जिनमें कुछ प्रमुख विधियां अग्रांकित हैं:-
1. क्रॉल - तैराकी की यह विधि सर्वाधिक प्रचलित, सरल व उपयोगी है । इस विधि से शीघ्रतापूर्वक तेरा जा सकता है । इसमें हाथ , पैर और सांस का सामंजस्य रहता है । शरीर को पानी की ऊपरी सतह पर इस प्रकार फैला दें कि हाथों से पानी को बारी - बारी से हिलाते रहें । गर्दन को क्रमशः एक ओर मोड़ते हुए सांस ली और छोड़ी जाती रहे ।
2. ब्रेस्ट स्ट्रोक ( Breast Stroke ) - क्या आपने मेंढ़क को पानी में तैरते देखा है ? वह इसी ब्रेस्ट स्ट्रोक का प्रयोग करता है । तैरने की यह विधि आसान और आरामदेह है । इस विधि में हाथ पैरों को एक साथ फैलाने और सिकोड़ने का एक क्रम रहता है । दोनों हाथों को एक साथ आगे तानकर दोनों ओर अर्द्धवृत बनाते हुए पानी को काटा जाता है । साथ ही साथ पैरों से पीछे को किक मारी जाती है ।
3. साइड स्ट्रोक ( Side Stroke ) - इस विधि में शरीर पानी में किसी एक करवट में तना रहता है । जिस करवट में शरीर रखा गया हो उसी ओर का हाथ आगे ताना जाता है । दूसरे हाथ से पानी काटा जाता है साथ ही पैरों से पीछे को किक करने का क्रम चलता रहता है । करवट बदल कर दूसरी ओर से यही प्रक्रिया अपनाई जाती है ।
4 . बैक स्ट्रोक ( Back Stroke ) - यह विधि काल की ठीक उल्टी है । इसमें पीठ के बल लेट कर बारी - बारी से हाथों को वृताकार में घुमाया जाता है । दोनों हाथों को एक साथ भी चलाया जा सकता को बचाने में भी इसका प्रयोग किया जाता । डूबतों
5. फ्री स्टाइल ( Free Style ):- उपरोक्त विधियों में से अपनी पसंद की विधि चुनना फ्री स्टाइल है । लम्बी दूरी की तैराकी में उपरोक्त सभी विधियों का प्रयोग किया जा सकता है
मांस पेशियों की ऐंठन ( Muscle Cramps )
तैराकी से तैराक को थकावट अथवा मांसपेशियों में ऐंठन होने पर हाथ पैर की पेशियों को दोनों हाथों से हिलाते हुए । मलें तैराक चित्त लेट कर कुछ समय ' शवासन ' में आराम करें । यदि तैरते समय मांसपेशियों में ऐंठन अनुभव होने लगे तो पीठ के बल ( Back Stroke ) तैरना शुरू करना चाहिए ।
इसके स्थान पर आप दक्षता पदक ले सकते हैं जिसकी पूर्ण जानकारी के लिये APRO2 & 3 देखें ।